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क्यू...तुम.. !


जब-2 तेरी यादो का साया लहराया
मन मे हर बार बस एक ही ख़याल आया
क्यू तेरी झील सी आखो से सिवा
ये दिल कही और खोता नही
क्यू तुझको देखे वग़ैर
मेरा सुबह होता नही
क्यू मेरी हर सांस मे
है तेरा हिस्सा
क्यू तेरे बिना ये ज़िंदगी
है बस एक क़िस्सा

क्यू तेरा वो बेपरवाह रहना
और आखो से सब कहना
तसाउर मे एहसास बन कर आता है
क्यू ये एहसास हर बार मुझको
तेरे पास ले जाता है
वही तेरा
मुस्करता चेहरा
और बिखरा बिखरा मन
बेकरारी मे भी करार दे जाता है

जब-2 तेरी यादो का साया लहराया
ना जाने क्यू वो तेरा
हसीन साया
घुलकर फ़िज़ा के आँचल मे
तन्हाई मे भी एक खूबसूरत सज़ा दे जाता है !

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